हो सकता है कि आंकड़ों के खेल में आपका भरोसा नहीं हो, लेकिन 18 जादुई आंकड़ा होता है। इसी समय आपके पैर बचपन की चौखट से निकलकर जवानी की राह पर आ रहे होते हैं। बालिग होना एकदम नया अनुभव होता है, नई आजादी मिलती है, लेकिन पढ़ाई का बोझ कम नहीं होता बल्कि फोकस बढ़ जाता है। अब आप अपना बैंक अकाउंट खुद ऑपरेट कर सकते हैं। क्रेडिट कार्ड रखने का बड़ा शौक है, लेकिन खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं। ड्राइविंग लाइसेंस तो है लेकिन कार अफोर्ड नहीं कर सकते। हर तरफ पैसा ही पैसा है, लेकिन हाथ नहीं लगा सकते। तो फिर आप इन सब चीजों को नौकरी मिलने तक टालने का फैसला करते हैं।
आप गलत नहीं हैं, लेकिन सही भी नहीं हैं। 18 से 23 के बीच नौकरी मिलने तक यानी अब से 4-5 साल बाद जब आप कमाना शुरू करेंगे, तब तक का पीरियड आपकी फाइनैंशल लर्निंग का होगा। बहुत से यंगस्टर इस पर ध्यान नहीं देते। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं कि फाइनैंशल लिटरेसी के मामले में इंडिया एशिया प्रशांत क्षेत्र के 16 देशों की रैंकिंग में 15वें पायदान यानी बॉटम में है। यह रैंकिंग मास्टर कार्ड के 2013 सर्वे पर बेस्ड है। यह स्टडी 18 से 64 साल की उम्र वाले 7,756 लोगों पर की गई थी। कमजोर बुनियाद पर बुलंद इमारत बनना मुश्किल होता है। गलतफहमियों, गलत प्लानिंग और गलत इन्वेस्टमेंट का डर रहता है। इसलिए फाइनैंशल प्लानिंग की कम उम्र से शुरुआत करना अच्छा रहेगा। हालांकि, इस काम में सीधे कूदने की जरूरत नहीं है और ना ही पैरंट्स की तरफ से इसे सीखने का दबाव बच्चों पर होना चाहिए।
मुंबई के फाइनैंशल प्लानर जयंत पाई के मुताबिक, 'इसके लिए पांच साल का प्लान बनाया जाना चाहिए। इसकी प्रक्रिया धीमी होनी चाहिए। बहुत ज्यादा कॉन्सेप्ट पर काम नहीं करना चाहिए या इन्वेस्टमेंट में बहुत ऐक्टिव नहीं होना चाहिए। उनको बस पढ़ना और सीखना चाहिए और सिंपल फाइनैंशल टास्क करना चाहिए।'
यहीं से हमारी कहानी की असल शुरुआत होती है। आगे हम देखेंगे कि कैसे यंगस्टर्स को पर्सनल फाइनैंस की मुश्किल दुनिया में बिना डरे आगे बढ़ना है। कुछ लोग तो पहले से ही इस काम में लग गए हैं, लेकिन पर्सनल फाइनैंस में सिर्फ पैसा कमाना ही काफी नहीं होता। पैसों का प्रबंधन ही अमीरों को गरीबों और बालिगों को यंगस्टर्स से अलग करता है।
आपके वित्तीय अधिकार और कर्तव्य
किसी भी सफर की दिशा में उठा पहला कदम यह जानना होता है कि उस वक्त आप हैं कहां? इसलिए आपको अपने फाइनैंशल स्टेटस की जानकारी लेने और अब आप क्या कर सकते हैं, इन सबके साथ शुरुआत करनी होगी।
टैक्स
टैक्स के लिहाज से आप हर तरह से बालिग होंगे। इसका मतलब यह है कि आपकी इनकम अब पैरंट्स की इनकम नहीं मानी जाएगी। अगर आपकी इनकम सालाना 2.5 लाख से ज्यादा है तो आपको टैक्स देना होगा और उसका रिटर्न फाइल करना होगा। अगर आपके पैरंट्स आपको रुपया-पैसा गिफ्ट करते हैं तो यह टैक्स फ्री होगा, लेकिन उससे ढाई लाख से ज्यादा की इनकम टैक्स फ्री नहीं होगी।
बैंकिंग
आप खुद का बैंक अकाउंट खोलकर ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। आप चेक इश्यू कर सकते हैं, फिक्स्ड या रेकरिंग डिपॉजिट शुरू कर सकते हैं, नेट बैंकिंग यूज कर सकते हैं और खुद का क्रेडिट कार्ड भी रख सकते हैं। लेकिन आपको इस स्टेज पर लोन लेने से बचना चाहिए। अगर लोन एजुकेशन के लिए लिया गया है तो सही है।
इंश्योरेंस
18 साल का शख्स अपने नाम पर इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकता है, लेकिन ज्यादातर लोगों के लिए यह जल्दबाजी हो सकती है। फाइनैंशल अडवाइजर पंकज मालडे कहते हैं, 'लेकिन उनको हेल्थ इंश्योरेंस के फायदों के बारे में जानना चाहिए और पॉलिसी जल्द खरीदनी चाहिए। कम उम्र में इंश्योरेंस सस्ते में मिलता है। इस पर टैक्स की भी बचत होती है।'
इन्वेस्टिंग
आप इन्वेस्टमेंट की भी शुरुआत कर सकते हैं, चाहे वह पीपीएफ हो या स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड्स। हालांकि, पहले दोनों के नफा-नुकसान के बारे में जरूर जान लें। आपको तो ड्राइविंग लाइसेंस के साथ PAN (परमानेंट अकाउंट नंबर) कार्ड और आधार कार्ड के लिए भी अप्लाई कर देना चाहिए। बैंक अकाउंट खोलने, शेयरों या म्यूचुअल फंड्स में इन्वेस्टमेंट करने और टैक्स रिटर्न फाइल करने में इनका यूज होता है।
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