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बाइक के लिए तीन साल की इंश्योरेंस पॉलिसी लें

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[ प्रीति कुलकर्णी | मुंबई ]

देश की सड़कों पर दौड़ रहे 10 करोड़ टू-व्हीलर्स में से दो-तिहाई गाड़ियां ऐसी हैं, जिनका बीमा नहीं है। ऐसा तब है, जब बिना थर्ड पार्टी लायबिलिटी इंश्योरेंस के गाड़ी चलाना अपराध है। गौर करने वाली बात यह है कि एक 150CC की बाइक जिसकी डिक्लेयर्ड वैल्यू 30,000 रुपये हो, उसका कॉम्प्रिहेंसिव बीमा सिर्फ 1,000 रुपये से 1,200 रुपये का पड़ता है, इसके बावजूद लोग गाड़ियों का बीमा नहीं करवाते।

शोरूम से निकलने वाली गाड़ियों को अनिवार्य नियम की वजह से बीमा के साथ आना पड़ता है। लेकिन दूसरे साल से ज्यादातर लोग गाड़ियों का बीमा रोक देते हैं। नॉन-रिन्यूएबल से निपटने के लिए इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDA) ने पिछले साल टू-व्हीलर्स के लिए लॉन्ग-टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी को इजाजत दे दी थी, इनका टेन्योर 3 साल तक हो सकता है।

देश की सबसे बड़ी जनरल इंश्योरेंस कंपनी न्यू इंडिया एश्योरेंस दो से तीन साल के टेन्योर वाले प्रॉडक्ट्स लॉन्च करने वाली पहली बीमा कंपनी बन गई है। अन्य इंश्योरेंस कंपनियां भी जल्द इस तरह के प्रॉडक्ट्स पेश कर सकती हैं।

ज्यादा टेन्योर वाली पॉलिसी लेना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह एक ऑप्शन है। इसका एक फायदा यह है कि आपको सालाना पॉलिसी रिन्यू कराने की चिंता नहीं होती है। रिन्यूअल में ब्रेक भविष्य में पॉलिसी खरीदने की प्रक्रिया को लंबा बना सकता है। एक बार पॉलिसी लैप्स हो जाए, तो ज्यादातर बीमा कंपनियां नई पॉलिसी इश्यू करने से पहले गाड़ी के निरीक्षण पर जोर देती हैं।

इंश्योरेंस कंपनियां ओन डैमेज कंपोनेंट प्रीमियम पर अपफ्रंट डिस्काउंट्स भी ऑफर करने के लिए बाध्य हैं। न्यू इंडिया एश्योरेंस के चेयरमैन जी श्रीनिवासन के मुताबिक, 'तीन साल के कवर पर इंश्योर्ड को 30 फीसदी डिस्काउंट मिलता है। टेन्योर के बाद इंश्योर्ड नो-क्लेम बोनस का भी हकदार होता है।' कंपनी दो साल और तीन साल के लिए क्रमश: 20 फीसदी और 30 फीसदी डिस्काउंट ऑफर करती है। अगर आप लॉन्ग-टर्म थर्ड पार्टी लायबिलिटी कवर लेते हैं तो आप प्रीमियम पर भी पैसा बचा सकते हैं क्योंकि इरडा ने हर साल के लिए थर्ड पार्टी कवर टैरिफ को 20 फीसदी बढ़ा दिया है।

इसकी खामियां क्या हैं? वेंटेज इंश्योरेंस ब्रोकर्स के सीईओ अरविंद लड्डा के मुताबिक, 'अगर मार्केट प्रीमियम भविष्य में कम होता है, तो इंश्योरेंस लेने वाला ऊंची दर पर पॉलिसी खरीद चुका होता है। वह लॉन्ग टर्म इंश्योरेंस में टेन्योर के दौरान कवर की क्वॉलिटी को भी सुधार नहीं सकता है।'

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