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NRI को वेल्थ जमा करने के बाद लौटना चाहिए स्वदेश

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[ उमा शशिकांत ]

रिलोकेशन बड़ा फैसला होता है। इसे एजुकेशन और रिटायरमेंट जैसे अन्य फाइनेंशियल टारगेट्स जितना ही महत्व देना चाहिए। एक समय था कि जब एनआरआई को नॉन-रिटर्निंग-इंडियंस कहा जाता था। अब समय बदल गया है। इनमें से बहुत से लोग अब भारत में नए मौकों की खोज में लौट रहे हैं। कुछ आंत्रप्रेन्योर्स बनने के लिए वापसी कर रहे हैं और कुछ अच्छी वेल्थ जमा करने के बाद एक नए रास्ते पर चलने के लिए आ रहे हैं।

अगर भारत लौटने की संभावना हो तो एनआरआई को इसे ध्यान में रखकर वेल्थ जमा करनी चाहिए। इसमें एसेट्स के साथ ही उनके स्किल्स भी शामिल होंगे। अगर वह नया बिजनेस खड़ा करना चाहते हैं तो उनके लिए वापसी से पहले नेटवर्क बनाना और स्किल्स हासिल करना बेहतर रहेगा।

वेल्थ जमा करने के लिए गोल्ड अच्छा ऑप्शन नहीं है। वापसी करने वाले एनआरआई अगर नया बिजनेस शुरू करने के लिए गोल्ड के बदले लोन लेते हैं तो वे अपने एसेट्स को जोखिम में डालेंगे। इससे उनकी इनकम पर री-पेमेंट का दबाव बढ़ेगा। दूसरा उनके एसेट की वैल्यू डिस्काउंट के साथ लगाई जाएगी और उन्हें इसके एक हिस्से पर ही लोन मिलेगा। तीसरा, अगर उनके बिजनेस से इनकम जेनरेट नहीं होती तो एसेट हाथ से जाने का जोखिम रहेगा। गोल्ड में इनवेस्टमेंट परिवार की कुल वेल्थ का 10 पर्सेंट से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

इनवेस्टमेंट के तौर पर रियल एस्टेट और प्रॉपर्टी का ऑप्शन भी ठीक नहीं है। भारत में प्रॉपर्टी मार्केट लॉन्ग-टर्म इनवेस्टमेंट के लिहाज से काफी जोखिम वाला है। एक समस्या यह है कि एनआरआई अपने सोशल स्टेटस को दिखाने के लिए भारत में एक आलीशान घर खरीदना चाहते हैं। केरल के शहरों के बाहरी इलाकों में मौजूद भव्य घर ऐसे ही एनआरआई परिवारों के हैं, जिनकी कोई इनकम नहीं है। यह उनके गलत चयन का सबूत है।

फाइनेंशियल एसेट्स में ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी और लिक्विडिटी मिलती है। एनआरआई के पोर्टफोलियो में 60-70 पर्सेंट हिस्सा डिपॉजिट्स, इक्विटी और बॉन्ड्स जैसे फाइनेंशियल एसेट्स का होना चाहिए। इसमें बदलाव करना आसान होता है। 60 पर्सेंट फाइनेंशियल एसेट्स, 30 पर्सेंट प्रॉपर्टी और 10 पर्सेंट गोल्ड वाला पोर्टफोलियो एनआरआई के लिए वापसी करने पर बेहतर हो सकता है। उन्हें भारत में इनकम का नया सोर्स मिलने तक इस पोर्टफोलियो से एक अच्छी आमदनी हासिल हो सकती है।

अगर आपने पहले ही एसेट एलोकेशन किया है तो आप इसे संतुलित कर सकते हैं। कोई एसेट तब तक किसी काम का नहीं होता, अगर वह जरूरत के समय परिवार की मदद नहीं कर सकता। एक घर और गोल्ड के कुछ हिस्से को बेचने से अच्छा फंड जमा हो सकता है, जिसे स्टेबल इनकम हासिल करने के लिए इनवेस्ट किया जा सकता है। सामाजिक दबाव के चलते ऐसा करने से हिचकिचाहट आपको एक ऐसी स्थिति में पहुंच देगी, जहां आप एसेट के मामले में तो रईस होंगे, लेकिन नकदी को लेकर निर्धन। रिलोकेशन का फैसला करने से पहले अपने एसेट्स और पोर्टफोलियो की समीक्षा करें। आप चाहें तो इसके लिए किसी एक्सपर्ट की मदद भी ले सकते हैं। केवल भावनाओं के आधार पर रिलोकेशन का फैसला न करें क्योंकि इससे आपको स्वदेश लौटने पर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। वापसी से पहले खुद को फाइनेंशियल तौर पर मजबूत करें।

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