Quantcast
Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
Viewing all articles
Browse latest Browse all 1906

बायर फ्रेंडली नहीं हैं टर्म प्लान के वैरिएंट्स

$
0
0

एगॉन रेलिगेयर लाइफ इंश्योरेंस के चीफ डिस्ट्रीब्यूशन ऑफिसर अमित कुमार रॉय ने इकनॉमिक टाइम्स से बातचीत में बताया कि क्यों इंश्योरेंस कंपनियों को सिंपल प्रॉडक्ट्स लॉन्च करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि इंश्योरेंस सेक्टर में फॉरेन इनवेस्टमेंट बढ़ने से क्या होगा?

टर्म प्लांस सिंपल प्रॉडक्ट्स हुआ करते थे। अब इनके बहुत से वैरिएंट हो गए हैं। नए प्लांस में कौन से बेनेफिट्स हैं?

हमने 2009 में ऑनलाइन टर्म प्लान पेश करते वक्त तय किया था कि कंज्यूमर के लिए उसे समझना और फैसला करना आसान हो। हमारा यह आइडिया काम कर गया, क्योंकि पूरा प्रोसीजर बहुत सिंपल था। हालांकि, कवर को व्यापक बनाने के लिए वैरिएंट ऐड करने का ट्रेंड इसे कॉम्प्लेक्स बना रहा है।

क्या इंश्योरेंस कम्युनिकेशन से भारी-भरकम शब्दों को निकालने की जरूरत है?

एकदम। इंश्योरेंस कंपनी के तौर पर हम न सिर्फ सिंपल प्रॉडक्ट्स ऑफर करते हैं बल्कि हम बायर्स को आसान शब्दों में उसके बारे में समझाने की भी कोशिश करते हैं। शब्दावली और फीचर्स कॉम्प्लेक्स होने से मिस-सेलिंग का रिस्क बढ़ जाता है।

ज्यादा से ज्यादा कस्टमर्स ऑनलाइन हो रहे हैं। इसको आपकी सेल्स टीम कैसे ले रही है?

हम अपने एजेंट्स को हमेशा से कहते रहे हैं कि वे प्रीमियम की तरफ न भागें बल्कि कस्टमर्स के साथ रिश्ते बनाएं। अगर आप भरोसे के आधार पर रिश्ते बनाने में कामयाब रहते हैं तो प्रीमियम आपके पास अपने आप आएगा। हमारी सेल्स टीम प्रोटेक्शन को बढ़ावा देती है, भले ही बायर्स उसको ऑनलाइन खरीदने में इंटरेस्ट ले रहा हो।

आपकी कंपनी लाइफ इंश्योरेंस की ऑनलाइन सेल की अगुवा रही है। क्या आपको लगता है कि टेक्नोलॉजी एक दिन इंटरमीडियरी की जगह ले लेगा?

टेक्नोलॉजी डिस्ट्रीब्यूशन में अहम रोल अदा कर रहा है, लेकिन यह इंटरमीडियरी को पूरी तरह से रिप्लेस नहीं कर पाएगा। मार्केट दोनों के लिए है। एक तरफ स्मार्ट बायर्स हैं, जिनको इंश्योरेंस के बारे में पता है और वे पॉलिसी को ऑनलाइन खरीदते हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो इन सबमें दिमाग नहीं लगाना चाहते और जिन्हें हेल्प की जरूरत होती है। इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने में इनकी मदद के लिए एजेंट होते हैं।

इंश्योरेंस सेक्टर में डायरेक्ट फॉरेन इनवेस्टमेंट की लिमिट बढ़ाकर 49 पर्सेंट कर दी गई है। इससे पॉलिसी होल्डर्स और फ्यूचर बायर्स को क्या फायदा होगा?

यह बहुत ही सकारात्मक कदम है। ज्यादा पूंजी और विशेषज्ञता आने से इंश्योरेंस कंपनियां कॉम्पिटिटिव प्रॉडक्ट्स ऑफर कर पाएंगी। इससे इंश्योरेंस इंडस्ट्री में मैच्योरिटी आएगी क्योंकि इसमें प्रॉडक्ट इनोवेशन होगा और बेहतर टेक्नोलॉजी आएगी। यह मौजूदा और नए कस्टमर्स दोनों के लिए फायदे का सौदा होगा।

2010 की गाइडलाइंस में यूलिप के कमीशन में खासी कटौती की गई थी। ट्रेडिशनल पॉलिसी का भी कमीशन बहुत कम है, लेकिन यह दूसरे प्रॉडक्ट्स के मुकाबले ज्यादा है। इस बारे में आपका क्या कहना है?

कमीशन देने में कोई खराबी नहीं है। बहस का मुद्दा तो यह होना चाहिए कि डिस्ट्रीब्यूशन की कितनी कॉस्ट पॉलिसी पीरियड में डिवाइड की जाएगी। मिसाल के लिए पहले साल ऊंचा कमीशन चुकाने के बजाय इसको पहले पांच साल में डिस्ट्रीब्यूट किया जा सकता है, जिससे सेलर्स लगातार बायर्स के टच में बना रहे।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 1906

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>