[ नेहा पांडे देवरस ] कल्पना करिए एक ऐसी स्कीम की, जिसमें आपको 9.5 पर्सेंट का सालाना रिटर्न मिलता है, लेकिन हर साल आपको 7 पर्सेंट चार्जेज के तौर पर चुकाने पड़ता है। कई यूलिप इनवेस्टर्स इसे भुगत रहे हैं। पिछले पांच साल में उन्हें कुछ इसी तरह का रिटर्न मिला है। मॉर्निंगस्टार के डेटा से पता चलता है कि एग्रेसिव यूलिप फंड्स (जो पूरा पैसा शेयरों में लगाते हैं), उन्होंने पिछले पांच साल में 9.43 पर्सेंट का रिटर्न दिया है। वहीं, इस दौरान सेंसेक्स का रिटर्न 9.24 पर्सेंट रहा है। हालांकि, इन डेटा से सिर्फ नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) में बढ़ोतरी का पता चलता है। ये डेटा यह नहीं बताते कि इनवेस्टर्स का इस दौरान वास्तविक रिटर्न क्या रहा है। सितंबर 2010 से पहले खरीदे गए यूलिप पर चार्ज काफी ज्यादा है। इसलिए कई इनवेस्टर्स को बमुश्किल कोई रिटर्न मिला है। कई चार्जेज नेट एसेट वैल्यू से नहीं काटे जाते बल्कि उसके बजाय यूनिट्स की संख्या कम कर दी जाती है। हायर चार्जेज के चलते यूलिप की लंबे समय से आलोचना होती रही है। ये चार्जेज अपारदर्शी तरीके से वसूले जाते रहे हैं। इसे लेकर भी काफी शिकायतें की गई थीं। 2010 की गाइडलाइंस से पहले इंश्योरेंस कंपनियां शुरू में ही ये चार्जेज काट लेती थीं। ऐसे में शुरू के कुछ साल इनवेस्टर्स के लिए काफी महंगे होते थे। हालांकि, कुछ यूलिप में शुरुआती वर्षों के बाद भी चार्जेज अधिक बने हुए हैं। कुछ मामलों में तो सालाना चार्जेज 6.77 पर्सेंट रहे हैं। अगर आप फंड मैनेजमेंट चार्जेज को जोड़ दें तो कुल कॉस्ट 7 पर्सेंट सालाना पड़ती है। इसका मतलब यह है कि पॉलिसीहोल्डर्स को तभी ठीक-ठाक रिटर्न मिलेगा, जब यूलिप से कम से कम 18-20 पर्सेंट का सालाना रिटर्न मिले। हमने यहां मॉर्टेलिटी चार्जेज को शामिल नहीं किया है, क्योंकि यूलिप के जरिये जो लाइफ इंश्योरेंस कवर दिया जाता है, यह उससे जुड़ा है। अगर आप इस खर्च को शामिल करें तो पॉलिसीहोल्डर्स पर चोट और भी बढ़ जाती है। अगर आप ऐसे किसी प्लान में फंसे हैं तो उससे बाहर निकलने का यह सही समय है। हालांकि, इससे पहले शर्तों को जरूरत समझना चाहिए। फाइनेंशियल प्लानर मल्हार मजूमदार ने बताया कि 2010 से पहले वाले यूलिप पर आपको सरेंडर चार्ज देना पड़ेगा। तीन साल के लॉक-इन पीरियड के बाद समय से पहले सरेंडर पर 3-4 पर्सेंट चार्ज वसूला जा सकता है। अगले तीन से चार साल में यह कम हो जाता है, लेकिन कुछ पॉलिसी पांचवें या छठे साल में भी 1-2 पर्सेंट का सरेंडर चार्ज लेती हैं। सिर्फ सातवें साल के बाद यूलिप पर कोई सरेंडर चार्ज नहीं है। पॉलिसी सरेंडर करने से पहले तय करें कि उससे मिली रकम का क्या करना है। अगर आप इस पैसे को निकालकर फिजूलखर्ची में उड़ाने वाले हैं तो इसका कोई मतलब नहीं है। इससे बेहतर तो यही होगा कि यह पैसा इनवेस्टेड रहे। फाइनेंशियल प्लानर स्टीवन फर्नांडीस ने कहा, 'जो लोग यूलिप को रिडीम करना चाहते हैं, उन्हें उस पैसे के इस्तेमाल की बात दिमाग में स्पष्ट रखनी चाहिए।'
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