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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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महंगी खरीदारी से पहले खर्च के 3 हिस्सों पर ध्यान दें

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उमा शशिकांत
बेटे ने बताया कि वह एक नया फोन खरीदना चाहता है। बहुत अधिक विकल्प होने के कारण उसे फोन चुनने में परेशानी हो रही थी तो उसने मुझसे पूछा कि क्या इस मामले में मेरे पास कोई थिअरी है। सिखाने का मौका छोड़ना आसान नहीं होता, विशेषतौर पर जब बेटे की बात हो तो सीख देना काफी अच्छा लगता है।

इस्तेमाल की अवधि के हिसाब से करें खर्च
मैंने पूछा, तुम कितने समय तक फोन का इस्तेमाल करना चाहते हो। यह क्यों महत्वपूर्ण है? फोन की कॉस्ट अधिक लगती है, लेकिन यह इस्तेमाल की अवधि में बंट जाती है। अगर आप इसे एक लाख रुपये में खरीदते हैं और चार वर्ष तक इस्तेमाल करते हैं तो आप एक वर्ष में 25,0000 रुपये खर्च कर रहे हैं। यह एक महीने में लगभग 2,000 रुपये हैं। आप अपनी आमदनी के पर्सेंटेज के तौर पर इसकी गणना कर यह तय कर सकते हैं कि यह बड़ा है या छोटा।

खर्च के फॉर्म्यूले पर करें विचार
उसने मुझे बताया कि वह दो वर्ष तक फोन का इस्तेमाल करेगा। मैंने तुरंत उसे इसके लिए मना कर दिया, जैसा अधिकतर सही नजरिए वाले अभिभावक करेंगे। क्या यह बहुत कम समय नहीं है? उसकी दलील थी कि नई टेक्नॉलजी जल्दी आती है और इस वजह से एक फोन पुराना हो जाता है। दो वर्ष इस्तेमाल करने के अनुमान को देखते हुए हम एक महीने में 4,000 रुपये का खर्च करेंगे। बेटे ने मुझसे कहा कि यह फॉर्मूला कार जैसे बड़े आइटम्स के लिए ठीक है, लेकिन फोन के साथ नहीं। मैंने उसकी इस बात को मान लिया।

पर्सनल फाइनैंस की समस्या!
इसके बाद हम मूल प्रश्न पर वापस लौटे और मैंने पूछा कि क्या तुमने फीचर्स, ब्रैंड को तय कर लिया है। उसने मुझे बताया कि उसने इनके बारे में सोचा है, लेकिन मुश्किल दो कीमतों को लेकर है। इनमें से एक कम है और दूसरी अधिक और वह अपने फैसले के मूल्यांकन के लिए एक तरीका चाहता है। उसने पूछा कि क्या यह खर्च के बारे में एक पर्सनल फाइनैंस की समस्या नहीं है। मैंने उसकी दलील को मान लिया और उसे अगला ज्ञान देने का फैसला किया।

प्रत्येक खर्च के तीन हिस्से होते हैं - मूलभूत अनिवार्य खर्च, व्यक्तिगत पसंद के लिए बिना जरूरत वाला खर्च और तीसरा दिखावे के लिए लाइफस्टाइल खर्च।

खर्च के इन तीन हिस्सों के बीच अंतर नियमों से नहीं बंधा है। ये अंतर आसानी से मिट सकते हैं। इनकम बढ़ने के साथ लाइफस्टाइल खर्च एक अनिवार्य खर्च हो सकता है। क्या हम ऐसे लोगों को नहीं जानते जो पब्लिक ट्रांसपॉर्ट का अब इस्तेमाल न करने की जानकारी देते रहते हैं? या लंबी दूरी की उड़ानों के लिए केवल बिजनस क्लास को चुनते हैं? ये लाइफस्टाइल पर बहुत अधिक जोर देने वालों की आदतें हैं। एक खर्च कभी पसंद था, लेकिन अब जरूरी बन गया है।

बेटे ने पूछा कि क्या उन्हें खर्च करने की अपनी क्षमता का मजा नहीं लेना चाहिए? मैंने कहा कि वे जरूर ऐसा कर सकते हैं अगर उन्हें यह विश्वास हो कि उनकी आमदनी भविष्य में भी ऐसी पसंद के लिए कम नहीं पड़ेगी।

मैंने पूछा कि फोन की कॉस्ट कैसे इन हिस्सों में बंटेगी। बेटे ने अपना गणित लगाया और कहा कि फोन के अनिवार्य और बिना जरूरत वाले हिस्से की कॉस्ट अधिक नहीं है, लेकिन लाइफस्टाइल को शामिल करने पर हैंडसेट महंगा हो जाता है। इस वजह से उसने कम कीमत वाला फोन खरीदने का फैसला किया। उसका कहना था कि दिखावे के लिए अधिक खर्च क्यों किया जाए।

उसने कहा कि वह अपैरल, परफ्यूम के साथ खुद को मॉडर्न और फैशनेबल दिखा सकता है और इस दौड़ में फोन को शामिल करने की कोई जरूरत नहीं है। फोन केवल कम्युनिकेशन की जरूरत पूरी करने वाला हो सकता है। मुझे अपनी सीख पर बेटे का कुछ अमल करना अच्छा लगा।

(लेखिका सेंटर फॉर इनवेस्टमेंट एजुकेशन ऐंड लर्निंग की प्रमुख हैं)

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