नई दिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल में टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) से कहा था कि पिछले छह महीने के दौरान केंद्रीय बैंक ने रीपो रेट में एक फीसदी की कटौती की है। हालांकि, मुख्य ब्याज दर में इतनी बड़ी कटौती के बावजूद बैंक के नए कर्जदाताओं को लोन के ब्याज दर में महज 0.21 फीसदी की ही राहत मिल पाई है। सवाल यह उठता है कि रीपो रेट में आरबीआई की बाकी 0.79 फीसदी कटौती का लाभ ग्राहकों को क्यों नहीं मिल पाया? ऐसा तो नहीं है कि इस कटौती का फायदा ग्राहकों को न देकर बैंक तगड़ा मुनाफा कमा रहे हैं। आइए इसे एक इंफोग्राफ से समझने की कोशिश करते हैं।
पढ़ें : लंबे समय तक आपको सस्ते होम, कार और पर्सनल लोन मिलने के आसार
1. रीपो रेट में 0.75% की कटौती कर चुका है आरबीआई
रीपो रेट में बाकी 0.25% के समतुल्य कटौती इंट्रेस्ट रेट पर आरबीआई द्वारा रुख में नरमी के जरिये की गई।
2. लेकिन कर्ज वृद्धि दर (रेट कट का सकारात्मक असर) की तुलना में जमा वृद्धि दर (रेट कट का नकारात्मक असर पड़ा) काफी कम रही है।
3. यही कारण है कि बैंक जमा पर इंट्रेस्ट रेट घटाने में सक्षम नहीं हैं।
बैंक जब तक जमा पर ब्याज दर नहीं घटाते, तक तक वह लोन पर बहुत अधिक राहत नहीं दे सकते। अगर बैंक लोन पर भी बड़ी राहत दे देते हैं तो फिर उन्हें घाटे का सामना करना पड़ेगा।
4. बीते 3 सालों में स्मॉल सेविंग्स पर ब्याज दर में भी बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आई है।
5. यहां तक कि हाल में बैंकों में जमा नकदी का स्तर भी बहुत उत्साहवर्धक नहीं रहा है।
6. इन सबकी वजह से बैंकों की एमसीएलआर (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट)अधिक रही है और इसमें रीपो रेट में कटौती के अनुकूल गिरावट नहीं आई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल में टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) से कहा था कि पिछले छह महीने के दौरान केंद्रीय बैंक ने रीपो रेट में एक फीसदी की कटौती की है। हालांकि, मुख्य ब्याज दर में इतनी बड़ी कटौती के बावजूद बैंक के नए कर्जदाताओं को लोन के ब्याज दर में महज 0.21 फीसदी की ही राहत मिल पाई है। सवाल यह उठता है कि रीपो रेट में आरबीआई की बाकी 0.79 फीसदी कटौती का लाभ ग्राहकों को क्यों नहीं मिल पाया? ऐसा तो नहीं है कि इस कटौती का फायदा ग्राहकों को न देकर बैंक तगड़ा मुनाफा कमा रहे हैं। आइए इसे एक इंफोग्राफ से समझने की कोशिश करते हैं।
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1. रीपो रेट में 0.75% की कटौती कर चुका है आरबीआई
रीपो रेट में बाकी 0.25% के समतुल्य कटौती इंट्रेस्ट रेट पर आरबीआई द्वारा रुख में नरमी के जरिये की गई।
2. लेकिन कर्ज वृद्धि दर (रेट कट का सकारात्मक असर) की तुलना में जमा वृद्धि दर (रेट कट का नकारात्मक असर पड़ा) काफी कम रही है।
3. यही कारण है कि बैंक जमा पर इंट्रेस्ट रेट घटाने में सक्षम नहीं हैं।
बैंक जब तक जमा पर ब्याज दर नहीं घटाते, तक तक वह लोन पर बहुत अधिक राहत नहीं दे सकते। अगर बैंक लोन पर भी बड़ी राहत दे देते हैं तो फिर उन्हें घाटे का सामना करना पड़ेगा।
4. बीते 3 सालों में स्मॉल सेविंग्स पर ब्याज दर में भी बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आई है।
5. यहां तक कि हाल में बैंकों में जमा नकदी का स्तर भी बहुत उत्साहवर्धक नहीं रहा है।
6. इन सबकी वजह से बैंकों की एमसीएलआर (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट)अधिक रही है और इसमें रीपो रेट में कटौती के अनुकूल गिरावट नहीं आई है।
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