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नए वित्त वर्ष में निवेश के ये हैं बेहतरीन विकल्प

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नई दिल्ली
नए फाइनैंशल इयर की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में जरूरी है कि बेहतर भविष्य के लिए निवेश के जरिए टैक्स बचाने की शुरुआत कर देनी चाहिए। लेकिन बड़ा सवाल है कि कहां और कैसे? कहां निवेश कर सकते हैं और निवेश के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखा जाए, बता रहे हैं राजेश भारती...

VPF: वॉलंटरी प्रविडेंट फंड (VPF) पर इस समय PPF के मुकाबले अधिक ब्याज मिल रहा है। PPF पर इस समय 8% तो VPF पर 8.65% ब्याज मिल रहा है। अब प्राइवेट कंपनियों ने भी VPF को ऑनलाइन कर दिया है तो आपके लिए निवेश आसान है। आप इसमें अपना निवेश घटा-बढ़ा सकते हैं और कभी भी इसे बंद करा सकते हैं। हालांकि इसमें पैसा लॉक हो जाता है। आप इसे तभी निकाल सकते हैं जब आप रिटायर हों या फिर नौकरी छोड़ दें।

क्यों जरूरी: यह रिस्क-फ्री इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है। इस पर कम जोखिम के साथ अधिक रिटर्न मिलता है।

NPS: नैशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में 18 साल से 60 साल तक का कोई भी व्यक्ति अकाउंट खोल सकता है। इस योजना को 500 रुपये महीने के निवेश के साथ भी शुरू कर सकते हैं। 60 साल की उम्र होने पर इससे दो तरह से पैसे निकाले जा सकते हैं। पहले तो आप 60 पर्सेंट तक रकम एकमुश्त निकाल सकते हैं। बाकी बची हुई रकम से आपको उम्र भर पेंशन का भुगतान किया जाता है।

क्यों जरूरी: लॉन्ग टर्म में एनपीएस से दूसरे रिटायरमेंट प्रॉडक्ट्स की तुलना में अधिक रिटर्न मिल सकता है।

लाइफ इंश्योरंस: जिंदगी का कोई भरोसा नहीं होता। ऐसे में जीवन बीमा पॉलिसी जरूर लेनी चाहिए। बीमा पॉलिसी खरीदते समय ध्यान रखें कि इसकी सम अश्योर्ड रकम आपकी वर्तमान वार्षिक आय से 10-20 गुना अधिक हो, ताकि आपके बाद आपके परिवार को कई बरसों तक कोई दिक्कत न आए। हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि सामान्य एलआईसी पॉलिसी में निवेश करने से बेहतर है कि आप टर्म प्लान ले लें। इसमें कम पैसे में ज्यादा का इंश्योरेंस मिल जाता है।

क्यों जरूरी: यह आपके परिवार को आपके नहीं रहने की स्थिति में वित्तीय सुरक्षा देता है।

PPF: यह बेहतर है क्योंकि पीपीएफ में किया गया निवेश, निवेश पर मिलने वाला ब्याज और मच्योरिटी के वक्त मिलने वाली राशि तीनों टैक्स-फ्री होते हैं। इसमें आप सालाना न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.50 लाख रुपये सालाना जमा कर सकते हैं। ध्यान रखें कि एक साल में पीपीएफ अकाउंट में अधिकतम 12 बार ही पैसा जमा किया जा सकता है। जिस साल खाता खोला जाता है उसके 15 साल बाद मच्योर होता है पीपीएफ खाता।

क्यों जरूरी: फिक्स्ड डिपॉजिट और दूसरे निवेशों की तुलना में यहां ब्याज दर अधिक है और टैक्स संबंधी फायदे भी हैं।

PODT: पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट (PODT) अकाउंट में एक, दो, तीन और पांच साल के लिए निवेश किया जा सकता है। जितने ज्यादा समय के लिए आप अकाउंट खुलवाते हैं उस पर उतना ज्यादा ब्याज मिलता है। अकाउंट न्यूनतम 200 रुपये और इसके मल्टिपल में खुलवाया जा सकता है। अधिकतम की कोई सीमा नहीं है। इसमें ब्याज दरें 1, 2 और 3 साल के लिए 7% और 5 साल के लिए 7.8% है। 10 साल से ऊपर का कोई भी व्यक्ति PODT में अपना अकाउंट खोल सकता है।

क्यों जरूरी: PODT में FD की तरह ही ब्याज दरें शुरू में तय हो जाती हैं और फिर बदलती नहीं हैं।

SSY: सुकन्या समृद्धि योजना में इस समय 8.5% की दर से ब्याज मिल रहा है। अगर आप SSY में हर साल 1 लाख रुपये निवेश करते हैं तो 14 साल में 14 लाख रुपये का निवेश हो जाएगा। इस रकम पर 8.5% सालाना ब्याज दर से 21 साल बाद जब खाता मच्योर होगा तो आपके पास करीब 46 लाख रुपये की रकम हो जाएगी। SSY में खाता खुलवाने के लिए बेटी की उम्र 10 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए।

क्यों जरूरी:
इस पर ब्याज बहुत अच्छा मिलता है और बच्ची के भविष्य के लिए आप इस बहाने काफी सुरक्षित निवेश कर लेते हैं। फिर इससे आप टैक्स में भी राहत पा सकते हैं।

ये बातें भी हैं काम की

1. इमर्जेंसी फंड: किसी व्यक्ति को इमर्जेंसी फंड की कब और कहां जरूरत पड़ जाए, कहा नहीं जा सकता। इसलिए बेहतर है कि अभी से हर महीने अपनी कमाई का थोड़ा-सा हिस्सा इमर्जेंसी फंड के लिए रखें। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इमर्जेंसी फंड आपके छह महीने के खर्च के लिए पर्याप्त होना चाहिए। हर साल मिलने वाले बोनस को लोग अक्सर इधर-उधर खर्च कर देते हैं। आप उसे बचाकर इमर्जेंसी फंड तैयार कर सकते हैं। साथ ही सैलरी में जो इन्क्रीमेंट हुआ है, अगर चाहें तो उस पैसे को भी इमर्जेंसी फंड में लगा सकते हैं।

यह भी है ऑप्शन: इसके अलावा, इमर्जेंसी फंड के लिए आप लिक्विड फंड या अल्ट्रा शॉर्ट टर्म डेट फंड में निवेश करना शुरू कर सकते हैं। इनसे 6-7 पर्सेंट का सालाना रिटर्न मिलता है। खास बात यह है कि रिडम्पशन के दिन ही आपको बैंक खाते में रकम मिल जाती है।

2. बांट कर करें निवेश: अगर आप टैक्स बचाने या बचत के लिए एक साथ निवेश की सोच रहे हैं तो रुक जाएं। एक ही झटके में सारी रकम टैक्स प्लानिंग में न लगाएं। दरअसल, अभी फरवरी में जो बजट पेश हुआ है वह अंतरिम था। नई सरकार मई में बनेगी और फिर शायद जुलाई में पूर्ण बजट पेश होगा। ऐसे में अगर निवेश के जुड़े नियम बदलते हैं तो निवेश में एक साथ लगाई अपकी रकम को नुकसान भी हो सकता है।

...तो क्या करें: दरअसल, नई सरकार बनने के बाद निवेश से जुड़े नियमों और ब्याज दरों में बदलाव हो सकता है। इसलिए बेहतर है कि एक साथ निवेश करने की जगह अलग-अलग योजनाओं में थोड़ा-थोड़ा निवेश करें।

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