नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सोमवार को एंप्लॉयीज प्रविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) की जिस स्पेशल लीव पिटीशन को खारिज कर दिया, उससे निजी क्षेत्र में काम करने वालों की पेंशन में बढ़ोतरी होगी, लेकिन रिटायरमेंट के वक्त मिलने वाला प्रविडेंट फंड (पीएफ) कम हो जाएगा। उसकी वजह यह है कि अधिक पेंशन के लिए पीएफ का एक हिस्सा एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम (ईपीएस) में डाला जाएगा। केरल हाईकोर्ट ने दिसंबर 2018 के आदेश में कहा था कि ईपीएफओ एंप्लॉयीज को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन दे और 15,000 रुपये मासिक की सीमा खत्म करे। यहां सैलरी का मतलब बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और रिटेंशन बोनस है।
कैसे तय होगी आपकी पेंशन?
अगर आप निजी क्षेत्र में काम करने वाले ईपीएस बेनिफिशियरी हैं, तो नौकरी के आखिर के 12 महीने की ऐवरेज मंथली सैलरी के हिसाब से आपकी पेंशन तय होगी। मान लेते हैं कि 20 साल की नौकरी के बाद रिटायरमेंट के वक्त आपकी एक साल की औसत मासिक वेतन एक लाख रुपये महीना है, तो अभी तक की व्यवस्था में 2,100 रुपये की पेंशन मिलती। केरल हाईकोर्ट का फैसला बहाल होने के बाद पेंशन की रकम बढ़कर 28,571 रुपये हो जाएगी। यह 1,261% की बढ़ोतरी है।
क्या है पूरा मामला?
सरकार ने 1995 में संगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए ईपीएस शुरू की थी। इसमें सभी सब्सक्राइबर्स को परमानेंट बेसिस पर पेंशन देने का वादा किया गया था। ईपीएस में कंपनी को कर्मचारी के मूल वेतन का 8.33 प्रतिशत हिस्सा डाला जाना था। इसके बाद इसे 6,500 रुपये का 8.33 पर्सेंट कर दिया गया। फिर सरकार ने ईपीएस के नियमों में बदलाव किया और कहा कि अगर कंपनी और कर्मचारी सहमत हों, तो कर्मचारी अपनी सैलरी का कितना भी प्रतिशत ईपीएस में जमा करवा सकता है। ईपीएस कानून में 2014 में फिर संशोधन हुआ और इस बार स्कीम में अधिकतम 15,000 रुपये का 8.33 प्रतिशत डालने का नियम बनाया गया। यह भी तय किया गया कि जो लोग पूरी सैलरी पर पेंशन चाहते हैं, उनकी पेंशन योग्य वेतन, पांच साल का औसत मासिक वेतन माना जाएगा।
केरल हाईकोर्ट का फैसला
इससे पहले यह नियम था कि एक साल की ऐवरेज मंथली सैलरी के आधार पर पेंशन तय की जाएगी। इन बदलावों से कई एंप्लॉयीज की पेंशन कम हो गई। केरल हाईकोर्ट ने 1 सितंबर 2014 को इस संशोधन पर रोक लगा दी। उसने एक साल के औसत मासिक वेतन को फिर से पेंशन की रकम तय करने का आधार बनाया। इसके करीब दो साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएफओ से पूरी सैलरी पर पिछली तारीख से कर्मचारियों की पेंशन की मांग के आवेदन स्वीकार करने को कहा। जिन कंपनियों में ईपीएफ को ट्रस्ट मैनेज कर रहे थे, ईपीएफओ शीर्ष अदालत के आदेश के बाद भी उनके कर्मचारियों के ऐसे आवेदन को अस्वीकार कर रहा था। ऐसे कर्मचारियों के हक में कई उच्च न्यायालयों ने फैसले दिए और अब सुप्रीम कोर्ट के सोमवार के निर्देश के बाद यह मसला सुलझ गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सोमवार को एंप्लॉयीज प्रविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) की जिस स्पेशल लीव पिटीशन को खारिज कर दिया, उससे निजी क्षेत्र में काम करने वालों की पेंशन में बढ़ोतरी होगी, लेकिन रिटायरमेंट के वक्त मिलने वाला प्रविडेंट फंड (पीएफ) कम हो जाएगा। उसकी वजह यह है कि अधिक पेंशन के लिए पीएफ का एक हिस्सा एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम (ईपीएस) में डाला जाएगा। केरल हाईकोर्ट ने दिसंबर 2018 के आदेश में कहा था कि ईपीएफओ एंप्लॉयीज को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन दे और 15,000 रुपये मासिक की सीमा खत्म करे। यहां सैलरी का मतलब बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और रिटेंशन बोनस है।
कैसे तय होगी आपकी पेंशन?
अगर आप निजी क्षेत्र में काम करने वाले ईपीएस बेनिफिशियरी हैं, तो नौकरी के आखिर के 12 महीने की ऐवरेज मंथली सैलरी के हिसाब से आपकी पेंशन तय होगी। मान लेते हैं कि 20 साल की नौकरी के बाद रिटायरमेंट के वक्त आपकी एक साल की औसत मासिक वेतन एक लाख रुपये महीना है, तो अभी तक की व्यवस्था में 2,100 रुपये की पेंशन मिलती। केरल हाईकोर्ट का फैसला बहाल होने के बाद पेंशन की रकम बढ़कर 28,571 रुपये हो जाएगी। यह 1,261% की बढ़ोतरी है।
क्या है पूरा मामला?
सरकार ने 1995 में संगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए ईपीएस शुरू की थी। इसमें सभी सब्सक्राइबर्स को परमानेंट बेसिस पर पेंशन देने का वादा किया गया था। ईपीएस में कंपनी को कर्मचारी के मूल वेतन का 8.33 प्रतिशत हिस्सा डाला जाना था। इसके बाद इसे 6,500 रुपये का 8.33 पर्सेंट कर दिया गया। फिर सरकार ने ईपीएस के नियमों में बदलाव किया और कहा कि अगर कंपनी और कर्मचारी सहमत हों, तो कर्मचारी अपनी सैलरी का कितना भी प्रतिशत ईपीएस में जमा करवा सकता है। ईपीएस कानून में 2014 में फिर संशोधन हुआ और इस बार स्कीम में अधिकतम 15,000 रुपये का 8.33 प्रतिशत डालने का नियम बनाया गया। यह भी तय किया गया कि जो लोग पूरी सैलरी पर पेंशन चाहते हैं, उनकी पेंशन योग्य वेतन, पांच साल का औसत मासिक वेतन माना जाएगा।
केरल हाईकोर्ट का फैसला
इससे पहले यह नियम था कि एक साल की ऐवरेज मंथली सैलरी के आधार पर पेंशन तय की जाएगी। इन बदलावों से कई एंप्लॉयीज की पेंशन कम हो गई। केरल हाईकोर्ट ने 1 सितंबर 2014 को इस संशोधन पर रोक लगा दी। उसने एक साल के औसत मासिक वेतन को फिर से पेंशन की रकम तय करने का आधार बनाया। इसके करीब दो साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएफओ से पूरी सैलरी पर पिछली तारीख से कर्मचारियों की पेंशन की मांग के आवेदन स्वीकार करने को कहा। जिन कंपनियों में ईपीएफ को ट्रस्ट मैनेज कर रहे थे, ईपीएफओ शीर्ष अदालत के आदेश के बाद भी उनके कर्मचारियों के ऐसे आवेदन को अस्वीकार कर रहा था। ऐसे कर्मचारियों के हक में कई उच्च न्यायालयों ने फैसले दिए और अब सुप्रीम कोर्ट के सोमवार के निर्देश के बाद यह मसला सुलझ गया है।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।