धीरेन्द्र कुमार
शेयर मार्केट का एक पुराना चुटकुला शायद आपने भी सुना होगा। एक नया इन्वेस्टर मार्केट के एक अनुभवी ट्रेडर से पूछता है, 'मैं शेयर मार्केट से मुनाफा कैसे कमा सकता हूं?' इस पर पुराना महारथी कहता है, 'यह बहुत आसान है। कम दाम पर खरीदो, ऊंचे दाम पर बेचो।' इस पर वह व्यक्ति फिर से पूछता है, 'हां, लेकिन मैं यह कैसे करूं।' इस पर जवाब आता है, 'यह बहुत मुश्किल है। इसे सीखने में पूरा जीवन लग जाता है।'
यह वास्तव में शेयर मार्केट से जुड़ी ऐसी सीख है, जिसकी अनदेखी करना भारी पड़ सकता है। 'बाय लो, सेल हाई' की सबसे आसान व्याख्या मार्केट के गिरने पर खरीदारी करना है। पिछले कुछ सप्ताह से भारतीय शेयर बाजार में कमजोरी बनी हुई है और इस बीच कई 'एक्सपर्ट्स' निवेश करने की सलाह भी दे चुके हैं। इन्वेस्टर्स और अडवाइजर्स दोनों का यही मानना है कि मार्केट में 'करेक्शन' खरीदारी करने का सही समय है। हालांकि, इसमें कई बार नुकसान भी उठाना पड़ता है। दरअसल, आपको यह कैसे पता चलेगा कि मार्केट में और गिरावट नहीं आने वाली? इसका उत्तर उस समय मिलता है, जब आप पिछली घटनाओं को देखकर भविष्य का अनुमान लगाते हैं। शेयर मार्केट में इस तरह का अनुमान लगाने में अक्सर दिग्गज इन्वेस्टर भी चूक जाते हैं।
मार्केट में गिरावट आने पर इन्वेस्टमेंट का फैसला लेने के साथ ही हम एक तरह से खुद को यह बताते हैं कि जब मार्केट चढ़ रहा तो हमें इन्वेस्टमेंट नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही हम यह भी सोचते हैं कि मार्केट में तेजी आने पर हमें अपना इन्वेस्टमेंट बेच देना चाहिए और फिर गिरावट आने का इंतजार करना चाहिए।
मार्केट में गिरावट आने पर शेयर्स खरीदें या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करें? अगर मार्केट में गिरावट आने पर खरीदारी करना एक अच्छा आइडिया है, तो मार्केट के चढ़ने पर बिकवाली करना भी एक अच्छा आइडिया होना चाहिए। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। सही कदम यह है कि आप कभी भी इस अनुमान के आधार पर खरीदारी न करें कि मार्केट कहां जा रहा है। इन्वेस्टर्स को क्वॉलिटी के अनुसार एक तय रकम लगानी चाहिए। एक शताब्दी से अधिक के अनुभव से पता चलता है कि मार्केट को टाइम करना अंधेरे में तीर चलाने जैसा है।
पेशेवर सट्टेबाज जो चाहते हैं वह कर सकते हैं, लेकिन म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स के लिए रास्ता पूरी तरह स्पष्ट है। उन्हें अच्छे लॉन्ग-टर्म ट्रैक रेकॉर्ड वाले तीन-चार इक्विटी फंड चुनने चाहिए और उनमें सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निरंतर रकम लगानी चाहिए। इन्वेस्टर्स को मार्केट में गिरावट आने को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए। आपको यह नहीं पता कि कब मार्केट में गिरावट आएगी और कब यह तेजी के दौर में जाएगा। लेकिन आपको यह जरूर पता है कि इक्विटी में लगातार इन्वेस्टमेंट करने से मार्केट के उतार-चढ़ाव के बावजूद बहुत अच्छा रिटर्न मिलता है।
(लेखक वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं)
शेयर मार्केट का एक पुराना चुटकुला शायद आपने भी सुना होगा। एक नया इन्वेस्टर मार्केट के एक अनुभवी ट्रेडर से पूछता है, 'मैं शेयर मार्केट से मुनाफा कैसे कमा सकता हूं?' इस पर पुराना महारथी कहता है, 'यह बहुत आसान है। कम दाम पर खरीदो, ऊंचे दाम पर बेचो।' इस पर वह व्यक्ति फिर से पूछता है, 'हां, लेकिन मैं यह कैसे करूं।' इस पर जवाब आता है, 'यह बहुत मुश्किल है। इसे सीखने में पूरा जीवन लग जाता है।'
यह वास्तव में शेयर मार्केट से जुड़ी ऐसी सीख है, जिसकी अनदेखी करना भारी पड़ सकता है। 'बाय लो, सेल हाई' की सबसे आसान व्याख्या मार्केट के गिरने पर खरीदारी करना है। पिछले कुछ सप्ताह से भारतीय शेयर बाजार में कमजोरी बनी हुई है और इस बीच कई 'एक्सपर्ट्स' निवेश करने की सलाह भी दे चुके हैं। इन्वेस्टर्स और अडवाइजर्स दोनों का यही मानना है कि मार्केट में 'करेक्शन' खरीदारी करने का सही समय है। हालांकि, इसमें कई बार नुकसान भी उठाना पड़ता है। दरअसल, आपको यह कैसे पता चलेगा कि मार्केट में और गिरावट नहीं आने वाली? इसका उत्तर उस समय मिलता है, जब आप पिछली घटनाओं को देखकर भविष्य का अनुमान लगाते हैं। शेयर मार्केट में इस तरह का अनुमान लगाने में अक्सर दिग्गज इन्वेस्टर भी चूक जाते हैं।
मार्केट में गिरावट आने पर इन्वेस्टमेंट का फैसला लेने के साथ ही हम एक तरह से खुद को यह बताते हैं कि जब मार्केट चढ़ रहा तो हमें इन्वेस्टमेंट नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही हम यह भी सोचते हैं कि मार्केट में तेजी आने पर हमें अपना इन्वेस्टमेंट बेच देना चाहिए और फिर गिरावट आने का इंतजार करना चाहिए।
मार्केट में गिरावट आने पर शेयर्स खरीदें या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करें? अगर मार्केट में गिरावट आने पर खरीदारी करना एक अच्छा आइडिया है, तो मार्केट के चढ़ने पर बिकवाली करना भी एक अच्छा आइडिया होना चाहिए। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। सही कदम यह है कि आप कभी भी इस अनुमान के आधार पर खरीदारी न करें कि मार्केट कहां जा रहा है। इन्वेस्टर्स को क्वॉलिटी के अनुसार एक तय रकम लगानी चाहिए। एक शताब्दी से अधिक के अनुभव से पता चलता है कि मार्केट को टाइम करना अंधेरे में तीर चलाने जैसा है।
पेशेवर सट्टेबाज जो चाहते हैं वह कर सकते हैं, लेकिन म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स के लिए रास्ता पूरी तरह स्पष्ट है। उन्हें अच्छे लॉन्ग-टर्म ट्रैक रेकॉर्ड वाले तीन-चार इक्विटी फंड चुनने चाहिए और उनमें सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निरंतर रकम लगानी चाहिए। इन्वेस्टर्स को मार्केट में गिरावट आने को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए। आपको यह नहीं पता कि कब मार्केट में गिरावट आएगी और कब यह तेजी के दौर में जाएगा। लेकिन आपको यह जरूर पता है कि इक्विटी में लगातार इन्वेस्टमेंट करने से मार्केट के उतार-चढ़ाव के बावजूद बहुत अच्छा रिटर्न मिलता है।
(लेखक वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं)
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।