फाइनैंशल इयर 2017-18 अब समाप्त होने वाला है, आपकी टैक्स बचत योजना अब तक अच्छी तरह तैयार हो जानी चाहिए। ऐसा न करने पर आखिरी वक्त में जल्दबाजी में कुछ गलतियां हो सकती हैं और आप समझदार और असरदार टैक्स बचत उपायों का लाभ उठाने से वंचित रह सकते हैं। वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही अपनी टैक्स प्लानिंग करना और उसे चरणबद्ध तरीके से पूरा करना हमेशा बेहतर होता है। वित्तीय वर्ष के समापन से पहले आखिरी के कुछ महीनों में आपको अपनी
टैक्स प्लानिंग की कमियों की जांच करनी चाहिए और उन्हें पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए।
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आपको संबंधित वित्तीय वर्ष के दौरान दिए गए किराए की पर्ची और करारनामा, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, परिवार और माता-पिता के लिए दिया गया हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम, ट्यूशन फीस, और आयकर अधिनियम की धारा 80 (C) के तहत किए गए सभी निवेशों से जुड़े सभी दस्तावेजों के साथ-साथ टैक्स का हिसाब करने के लिए आवश्यक अन्य सभी विवरणों को सुव्यवस्थित करके रखना चाहिए। जानें, कैसे फाइनैंशल इयर खत्म होने से पहले आप टैक्स की रकम को कम कर सकते हैं...
उन खर्चों की लिस्ट बनाएं जो बचा सकते हैं टैक्स
टैक्स कटौती का लाभ दे सकने वाले खर्च आपके टैक्स की रकम को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। होम लोन की ईएमआई, धारा 24 (b) और धारा 80 (C) के तहत आपकी टैक्स की रकम को कम कर सकती है। एजुकेशन लोन पर दिया जाने वाला ब्याज, धारा 80 (E) के तहत उस हद तक टैक्स बचा सकता है। पागलपन, किडनी फेल, इत्यादि जैसी कुछ बीमारियों के इलाज पर होने वाले खर्च को धारा 80 (DDB) के तहत शामिल किया गया है।
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हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को धारा 80 (D) के तहत कटौती की इजाजत है। परोपकारी संस्थानों को दिए जाने वाले दान को लागू होने लायक नियमों के आधार पर धारा 80 G के तहत कटौती की इजाजत है। मकान का किराया एक महत्वपूर्ण खर्च है, जो आपका काफी टैक्स बचा सकता है।
किराए और पहले घर के होम लोन पर रियायत
कंपनियां आम तौर पर आपकी टैक्स की रकम को कम रखने के लिए HRA देती हैं। आपको अपने टैक्स की रकम को कम करने के लिए इस तरह के किराए के पेमेंट
पर टैक्स लाभ के लिए क्लेम करना चाहिए। यदि आप पहली बार एक घर खरीद रहे हैं और आपने इसके लिए एक होम लोन लिया है तो आप धारा 80 EE के तहत 50,000 रुपये तक अतिरिक्त टैक्स लाभ के लिए क्लेम कर सकते हैं बशर्ते लोन की रकम 35 लाख रुपये से कम और प्रॉपर्टी की कीमत 50 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
और ज्यादा टैक्स बचाने के लिए निवेश करें
धारा 80 (C) के तहत निवेश के ऐसे कई विकल्प मौजूद हैं जिनमें आप 1.5 अख रुपये तक के निवेश पर टैक्स कटौती का लाभ उठा सकते हैं और अपने टैक्स की रकम कम कर सकते हैं। PPF, ELSS, टैक्स सेविंग एफडी, सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) इत्यादि, धारा 80 (C) के तहत टैक्स लाभ के लिए क्लेम करने के लिए आम तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले निवेश विकल्प हैं। धारा 80 (C) के तहत कटौती लाभ के अलावा, यदि आप 1.5 लाख रुपये से ज्यादा निवेश करना चाहते हैं तो एनपीएस में निवेश करने पर आपको 80 CCD (b) के तहत 50,000 रुपये के अतिरिक्त टैक्स कटौती का लाभ उठाने का मौका मिल जाता है।
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आखिरी वक्त की बचाव योजना
यदि आप अभी भी अपनी प्रत्याशित टैक्स की रकम को कम नहीं कर पा रहे हैं तो आपको एक वैकल्पिक रणनीति पर विचार करना चाहिए। एक नया निवेश करने और अगले वित्तीय वर्ष में अपनी टैक्सेबल आमदनी को बढ़ाने के बजाय, आपको अपने माता-पिता या सास-ससुर के अकाउंट में फंड ट्रांसफर करने पर विचार करना चाहिए जिनकी आमदनी टैक्सेबल नहीं है, और उनके अकाउंट में पैसे निवेश करना चाहिए। इस तरह के निवेश पर होने वाली आमदनी, प्राप्तकर्ता (माता-पिता या सास-ससुर) की फ़ाइल में टैक्सेबल होगी और इस तरह आप अगले वित्तीय वर्ष में लगने वाले टैक्स की रकम को कम कर सकते हैं।
सैलरी स्ट्रक्चर को जरूर चेक करें
आप एक टैक्स एडवाइजर से संपर्क करके अपने सैलरी स्ट्रक्चर को चेक करवा सकते हैं और अपने टैक्स को कम करने के तरीकों का पता लगा सकते हैं। अपने नियोक्ता से बात करके देखें कि क्या टैक्स की रकम को कम करने के लिए आपके सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव किया जा सकता है। कभी-कभी लोगों के पास टैक्स कटौती का लाभ उठाने के लिए निवेश करने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते हैं। ऐसी परिस्थिति में वे निवेश करने के लिए अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से पैसे उधार ले सकते हैं या तुरंत राहत पाने के लिए पैसों का इंतजाम करने के लिए किसी पुराने टैक्स-फ्री निवेश को भुना सकते हैं।
आखिरी वक्त में न भूलें ये बातें
आखिरी वक्त में टैक्स प्लानिंग करते समय लोग अक्सर अपने टैक्स की रकम को कम करने के लिए पूंजी लाभ और हानि को अजस्ट करने का लाभ उठाना भूल जाते हैं। इसलिए एक बार जरूर देख लें कि आप संबंधित वित्तीय वर्ष के दौरान उपार्जित पूँजी लाभ और हानि को अजस्ट कर सकते हैं या नहीं। याद रखें कि एक अल्पकालिक पूँजी हानि को अल्पकालिक और दीर्घकालिक पूंजी लाभ के साथ ही अजस्ट किया जा सकता है, और दीर्घकालिक पूंजी लाभ को सिर्फ दीर्घकालिक पूंजी लाभ के साथ सेट-ऑफ किया जा सकता है। अपनी जरूरत के हिसाब से उपयुक्त सुझाव के लिए हमेशा अपने टैक्स अडवाइजर की सलाह लें।
(लेखक: आदिल शेट्टी, बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ हैं)
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