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टिप्स: ऐसे चुनें सही टर्म इंश्योरेंस प्लान

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बाबर जैदी
अगर आपके कार इंश्योरेंस का प्रीमियम 10000 रुपये है और आपकी बीमा कंपनी कहे कि 10 साल बाद वह पूरा प्रीमियम लौटा देगी तो क्या इस शर्त पर आप 45000 रुपये चुकाने को राजी होंगे? यह बात बेतुकी लग सकती है, लेकिन यही दलील उन टर्म इंश्योरेंस प्लांस को रफ्तार दे रही हैं, जो बायर को प्रीमियम लौटाने का वादा करते हैं। प्रीमियम लौटाने वाले प्लान का प्राइस किसी आम टर्म प्लान के प्राइस के दोगुने से ज्यादा है। कंपनी इसके अंतर को इनवेस्ट करती है और पॉलिसी पूरी होने पर बायर को प्रीमियम लौटा देती है। हालांकि बायर अगर इन दो प्लान के प्रीमियम के अंतर वाली रकम को किसी सेविंग्स बैंक एकाउंट में भी रखे तो उसे फायदा हो सकता है।

प्रीमियम लौटाने वाले ऐसे प्लान तो उन कई एडिशंस में से हैं, जिन्हें बीमा कंपनियों ने आम टर्म प्लान में जोड़ा है। मृत्यु के बारे में आम कवर के बजाय टर्म प्लान आजकल दिव्यांगता और बीमारियों के खिलाफ भी कवर मुहैया कराते हैं। पॉलिसी होल्डर की मृत्यु पर एकमुश्त रकम ऑफर करने के बजाय वे अब किस्तों में पेमेंट करते हैं। व्यक्ति को उसकी कमाई करने की क्षमता वाले वर्षों तक कवर करने के बजाय वे अब पूरी लाइफ के लिए कवर मुहैया कराते हैं।

टर्म प्लान में कई फीचर्स जोड़ने से बेवजह की जटिलता पैदा होती है, जबकि ऐसे प्लान को यथासंभव सरल होना चाहिए। विशेषज्ञ मानते हैं कि बहुत ज्यादा विकल्प होने से हो सकता है कि संबंधित व्यक्ति कोई निर्णय ही न कर पाए। प्रीमियम लौटाने के विकल्प जैसे फीचर्स ग्राहकों को उल्लू बनाने का तरीका हैं।

एक फ़ाइनैंशल प्लानर ने कहा, 'प्रीमियम लौटाने का वादा करने वाले प्लान और कुछ नहीं, प्योर प्रोटेक्शन प्लान की आड़ में बेचे जा रहे एंडोमेंट प्लान हैं।' दूसरे प्लान भी कुछ खास बेहतर नहीं हैं। कुछ कंपनियों के टुकड़ों में पेआउट वाले प्लान पर ही नजर डाल लें। इस विकल्प के तहत नॉमिनी को पॉलिसीहोल्डर की डेथ होने पर इंश्योर्ड अमाउंट का एक हिस्सा ही मिलता है। बाकी रकम 10-20 वर्षों में मंथली इंस्टॉलमेंट्स में दी जाती है। यह बात तभी तक अच्छी लगती है, जब तक कि आपको यह पता न चले कि नॉमिनी को अगर पूरी रकम मिलती और उसने उसे किसी आम बैंक खाते में भी रख दिया होता तो उसे ज्यादा कमाई हो जाती।

कुछ खास सेगमेंट्स का मामला
बीमा कंपनियों की दलील है कि अडिशनल बेनिफिट्स को बायर्स के खास सेगमेंट्स को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जो हो सकता है कि ऐसे ही बेनेफिट्स की तलाश कर रहे हों। एचडीएफसी लाइफ के वाइस प्रेजिडेंट (प्रॉडक्ट) सुजॉय तन्ना ने कहा, 'Click2Protect 3D Plus टर्म प्लान न केवल डेथ, डिसएबिलिटी और डिजीज को कवर करता है, बल्कि यह लीगेसी प्लानिंग को पूरी लाइफ के लिए एक ऑप्शन बनाता देता है।' दूसरों का कहना है कि देश में फाइनैंशल लिट्रेसी के कम स्तर को देखते हुए बीमा कवर से मिलने वाली रकम को उचित विकल्पों में निवेश करना एक मुश्किल काम है। केनरा-एचएसबीसी-ओबीसी लाइफ इंश्योरेंस के सीईओ अनुज माथुर का कहना है, 'अगर पॉलिसीहोल्डर का परिवार इस लायक नहीं है कि वह बीमा से मिली रकम ठीक जगह पर लगा सके तो मंथली इनकम का विकल्प निश्चित रूप से अच्छा आइडिया है।'

माथुर का कहना है कि टुकड़ों में भुगतान के विकल्प वाले प्लान में रिटर्न हो सकता है कि फिक्स्ड डिपॉजिट्स जैसा न हो क्योंकि ये लॉन्ग टर्म (आमतौर पर 15-20 साल के लिए) होते हैं, जबकि फिक्स्ड डिपॉजिट्स 5-10 साल के लिए होते हैं। उन्होंने कहा, 'कंपनी ब्याज दरों में गिरावट के दौर में लॉन्ग टर्म में अच्छा रिटर्न देने का जोखिम उठाती है। इस बात की क्या गारंटी है कि फिक्स्ड डिपॉजिट रेट्स आने वाले वर्षों में 6 पर्सेंट से नीचे नहीं चली जाएगी?'

अस्थायी दिव्यांगता का कवर नहीं
बायर्स को कुछ फीचर्स के बारीक ब्योरे पर भी ध्यान देना चाहिए। ऐक्सिडेंटल डेथ और डिसएबिलिटी कवर कम लागत में प्रोटेक्शन बढ़ाने का अच्छा तरीका है, लेकिन यह ध्यान रखें कि डिसएबिलिटी के लिए कवर अलग से लिए गए डिसएबिलिटी और एक्सिडेंट कवर में बेहतर तरीके से मिलता है। लॉन्ग टर्म प्लान में केवल टोटल पर्मानेंट डिसएबिलिटी ही कवर होगी, जबकि किसी जनरल इंश्योरेंस कंपनी के स्टैंडअलोन कवर में दुर्घटना से होने वाली आंशिक या अस्थायी दिव्यांगता भी कवर होगी। अगर कोई इस फीचर को चुनता है तो पॉलिसी एक्सिडेंट के बाद हॉस्पिटलाइजेशन और दूसरे मेडिकल खर्च को भी कवर करेगी। हालांकि जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की ओर से ऑफर की जाने वाली अधिकतर स्टैंडअलोन पॉलिसीज में 25-50 लाख रुपये का लिमिटेड एक्सिडेंटल डेथ कवर ऑफर किया जाता है।

महंगाई का पहलू
आज की कीमतों के लिहाज से एक करोड़ रुपये का कवर पर्याप्त लग सकता है, लेकिन 20 वर्षों में 5 पर्सेंट की सालाना महंगाई दर भी एक करोड़ रुपये की वैल्यू को घटाकर 35 लाख रुपये से कम कर सकती है। यही वजह है कि हमने एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस के Click2Protect टर्म प्लान को बहुत उपयोगी पाया। इसमें इंश्योर्ड अमाउंट हर साल 10 पर्सेंट बढ़ता है, जिससे इन्फ्लेशन का मामला सेटल हो जाता है। जाहिर है कि प्रीमियम में भी इजाफा होता है, लेकिन बायर को न तो टेस्ट कराने की जरूरत होती है और न ही नई पॉलिसी लेने की।

कुछ बीमा कंपनियां कवर को बढ़ाने का विकल्प दे रही हैं, लेकिन टॉप-अप प्लान इनसे बेहतर है। एक तो इसलिए कि बायर बढ़ोतरी को अपने हिसाब से तय कर सकता है। दूसरी बात यह है कि कवर बढ़ने के साथ प्रीमियम बढ़ता जाता है जबकि ज्यादा बेस प्रीमियम वाले दूसरे प्लांस में ऐसा नहीं होता है। टॉप अप प्लान न केवल महंगाई के खिलाफ हेजिंग है, बल्कि यह जीवन में जिम्मेदारी बढ़ने के साथ बाद में अतिरिक्त इंश्योरेंस खरीदने की जरूरत भी खत्म कर देता है। इसमें कस्टमर का कवर बिना किसी अतिरिक्त जांच के बढ़ता है।

आपको पूरे जीवन के लिए कवर चाहिए?
एक अन्य अतिरिक्त फीचर पूरे जीवन के लिए कवर का है। कुछ साल पहले तक बीमा कंपनियां 60-65 साल तक की उम्र के लिए ही कवर दिया करती थीं। कुछ साल पहले उन्होंने 70-75 साल तक इंश्योरेंस देना शुरू किया था और अब वे पूरे जीवन के लिए कवर दे रही हैं। बीमा कंपनियों का दावा है कि इस फीचर का उपयोग विरासत में बड़ी रकम देने में किया जा सकता है। यानी पॉलिसीहोल्डर की मृत्यु के बाद उसके वारिसों को बड़ी रकम मिलेगी।

हालांकि यह काम सस्ते में नहीं होगा। ऐसे प्लान के लिए प्रीमियम बहुत ज्यादा है। 30 साल का शख्स अगर 30 साल के लिए एक करोड़ रुपये का टर्म कवर ले तो उसे सालाना लगभग 9500 रुपये चुकाने होंगे। अगर वह Click2Protect प्लान के तहत पूरी लाइफ के लिए कवर लेता है तो प्रीमियम सालाना 73000 रुपये बनेगा। प्रीमियम भुगतान की अवधि होल लाइफ ऑप्शन के लिए 35 साल है।

यह आइडिया बेहतर है
अपने लिए एक करोड़ रुपये का कोई आम टर्म प्लान लें और अपने वारिसों को उत्तराधिकार में रकम देने के लिए किसी फंड में 5000 रुपये का एसआईपी शुरू करें। भाग्य ने साथ दिया तो 8 पर्सेंट के औसत रिटर्न रेट से भी आप 35 साल में 1.15 करोड़ रुपये इकट्ठा कर लेंगे।

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