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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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GST: जुलाई से झटका देंगे बैंक चार्ज और बीमा

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सुनील धवन
जीएसटी लागू होने के बाद से कारोबारियों के अलावा आम लोगों के बजट पर भी असर पड़ेगा। बैंकिंग, इंश्योरेंस और रियल एस्टेट, म्यूचुअल फंड्स इन्वेस्टमेंट पर फिलहाल टैक्स की दर 15 पर्सेंट है। जीएसटी लागू होने के बाद इसमें 3 पर्सेंट का इजाफा हो जाएगा और यह रेट 18 फीसदी हो जाएगा। जानें, कैसे आम आदमी पर होगा इसका असर...

जीएसटी और इंश्योरेंस
मुख्य तौर पर तीन तरह के इंश्योरेंस होते हैं- टर्म इंश्योरेंस प्लान्स, Ulips और भविष्य निधि (मनी बैक समेत)। मौजूदा व्यवस्था में इन तीनों पर टैक्स की अलग-अलग दर लागू होती है। लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज में अदा की जाने वाली प्रीमियम दो हिस्सों में अदा की जाती है- रिस्क कवरेज और सेविंग्स। इसमें से रिस्क कवरेज वाले हिस्से पर ही सर्विस टैक्स लगता है, जबकि सेविंग्स को इससे छूट मिलती है। जीएसटी के नियमों के मुताबिक इंश्योरेंस पर इस प्रकार टैक्स लगेगा।

1. पॉलिसी होल्डर की इच्छा के मुताबिक ग्रॉस प्रीमियम में से इन्वेस्टमेंट या सेविंग्स के हिस्से को कम किया जाएगा। उस पर ही जीएसटी लागू होगा।

2. साल में एक बार ही जमा किए जाने वाले बीमा प्रीमियम पर 10 पर्सेंट चार्ज होगा।

3. इसके अलावा अन्य सभी मामलों में पहले साल में प्रीमियम के 25 पर्सेंट और बाद के सालों में 12.5 पर्सेंट पर जीएसटी लागू होगा। इस तरह यदि अक्षय निधि योजना का प्रीमियम 100 रुपये आता है तो पहले उसके 25 पर्सेंट यानी 25 रुपये पर 18 फीसदी जीएसटी लागू होगा।

4. यदि पॉलिसी होल्डर की ओर से प्रीमियम की पूरी राशि रिस्क कवर के लिए ही चुकाई जाती है तो पूरे प्रीमियम पर 18 पर्सेंट जीएसटी लागू होगा।

इस तरह आने वाले दिनों में जीएसटी लागू होने के बाद पॉलिसी होल्डर्स को अधिक राशि अदा करनी होगी। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि 1 जुलाई के बाद पॉलिसी होल्डर्स को लाइफ, हेल्थ और जनरल इंश्योरेंस कवर पर 3 पर्सेंट अधिक प्रीमियम देना होगा। इंश्योरेंस बायर्स को ऐसी स्थिति में ही लाभ हो सकता है, जब कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट के फायदे उन्हें देने पर सहमत हों। इसी तरह से कार, हेल्थ और अन्य लाइफ इंश्योरेंस जैसी जनरल पॉलिसीज भी 3 फीसदी तक महंगी हो जाएंगी।

असर: इसका असर बहुत मामूली होगा, लेकिन मौजूदा और नए पॉलिसी होल्डर्स को अतिरिक्त राशि चुकानी होगी। यदि 15 फीसदी सर्विस टैक्स को हटाने के बाद कोई इंश्योरेंस बायर 10,000 रुपये चुकाता है तो जीएसटी लागू होने के बाद उसे 300 रुपये अधिक चुकाने होंगे और वह 11,500 रुपये की बजाय 11,800 रुपये चुकाएगा। इसलिए अब जब भी आप प्रीमियम की तुलना करें तो यह जीएसटी समेत और उसे हटाकर सभी प्रीमियम्स के रेट जान लें।

जीएसटी और रियल एस्टेट
रियल एस्टेट सेक्टर को केंद्र और राज्य सरकारों के स्तर पर कई तरह के टैक्स देने होते हैं। जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद ढांचा दुरुस्त हो जाएगा। NAREDCO के चेयरमैन राजीव तलवार कहते हैं कि फिलहाल भारी भरकम टैक्स लगते हैं और उसकी बजाय सिंगल स्टेबल 12 पर्सेंट के टैक्स का रियल एस्टेट सेक्टर स्वागत करता है।

बैंकिंग चार्ज में हो जाएगा इजाफा
जीएसटी की व्यवस्था के तहत सरकार ने वित्तीय सेवाओं को 18 पर्सेंट के टैक्स स्लैब में रखा है। इन सेवाओं पर अब तक 15 फीसदी टैक्स ही लगता था। अब इसमें तीन फीसदी इजाफे का मतलब है कि कस्टमर्स को प्रति 100 रुपये के बैंक चार्ज या फीस पर 3 रुपये अधिक चुकाना होगा। गौरतलब है कि हाल ही में एसबीआई ने कैश विदड्रॉल समेत तमाम तरह की सेवाओं पर चार्ज बढ़ाया है।

जीएसटी और म्युचूअल फंड्स
म्यूचुअल फंड्ल के रिटर्न पर जीएसटी का असर बेहद मामूली होगा। म्यूचुअल फंड के टोटल एक्सपेंस रेश्यो पर जीएसटी लागू होगा। इसे आम तौर पर म्यूचुअल फंड हाउसेज के एक्सपेंस रेश्यो के तौर पर भी जाना जाता रहा है। एक इन्वेस्टमेंट कंपनी की ओर से अपने म्यूचुअल फंड को ऑपरेट करने के लिए खर्च की गई राशि को एक्सपेंस रेश्यो कहा जाता है।

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