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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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निवेश की बेहतर क्वॉलिटी के लिए भिन्नता जरूरी

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सबसे अच्छा अनाज यह है या वह है, ऐसा हम दावे के साथ नहीं कह सकते लेकिन जब सरकार ने स्टॉक के लिए गेहूं और चावल खरीदना शुरू किया तो किसानों ने ज्यादा इकोफ्रेंडली बाजरा उगाना कम कर दिया। खानपान में पर्याप्त विविधता नहीं होने से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें होने लगी हैं तो फिर बाजरा बाजार में आया, लेकिन महंगे फैशन के तौर पर।

हम हर चीज में सामान्यीकरण करने लगे हैं। जैसे लड़के लड़कियों से बेहतर होते हैं। कोर्स में आर्ट्स से इंजीनियरिंग बेहतर होता है। सुंदरता को चमड़ी के रंग और शरीर की बनावट के मैपाने पर मापने लगे हैं। इससे समाज के तौर पर हमारा बहुत नुकसान होता है। ये चीजें निवेश को लेकर हमारी पसंद में भी घर कर गई हैं। हमें लगता है कि सबसे अच्छा निवेश वह है, जिससे स्टेबल रिटर्न मिलता है, प्रिंसिपल पर कोई रिस्क नहीं होता है और जो सरकारी होता है। या फिर हम गोल्ड या रियल एस्टेट को बेस्ट इनवेस्टमेंट मानते हैं, जिसमें नॉमिनल वैल्यू बस महंगाई के चलते बढ़ती है। जागरूक निवेशकों को भी अपने निवेश के फैसलों की समीक्षा के वक्त अपनी पसंद से निराशा हाथ लगती है। उनको लगता है कि उनको बेहतर परफॉर्मेंस वाले इनवेस्टमेंट करना चाहिए था, खराब परफॉर्मेंस वाले निवेश पर नुकसान से बचा जा सकता था। लेकिन वे यह नहीं देखते कि फ्यूचर प्लानिंग के मुकाबले बीती बातों में मीनमेख निकालना आसान होता है।

बहुत से इनवेस्टर्स को लगता है कि प्रॉफिट बुकिंग की स्ट्रैटेजी नहीं होने वे अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाएंगे। उनका मानना है कि इनवेस्टमेंट का सबसे अच्छा तरीका तेजी में होल्ड करना और गिरावट से बचना है। उनको लगता है कि वे नॉन-परफॉर्मर्स से निकलकर बेस्ट परफॉर्मर्स में शिफ्ट कर सकते हैं। इस तरह वे अलग अलग समय में एंट्री और एग्जिट दोनों ही फैसले सही सही ले सकते हैं। इन सबके बीच हमें नहीं भूलना चाहिए कि अच्छे स्वास्थ्य, पोषण और निवेश की अच्छी आदत के लिए विविधता जरूरी है।

वक्त के साथ होनेवाले उतार चढ़ाव से निपटने के लिए पोर्टफोलियो में विविधता जरूरी होने की बात बहुत से इनवेस्टर्स को किताबी लगती है। अलग-अलग स्थितियों में निवेश की अलग-अलग पसंद काम आती है तो भविष्य की निश्चितताओं को देखते हुए डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो रखने में समझदारी है। इनवेस्टमेंट के मामले में डायवर्सिफिकेशन सबसे अहम और फायदेमंद आइडिया है और इसके लिए हमें बेस्ट की चाहत छोड़नी होगी।

निवेश के फैसलों में निवेश की सुरक्षा की गलत सोच का असर हर तरफ दिखता है। करोड़ों लोगों के प्रोविडेंट फंड का इनवेस्टमेंट लंबे समय से इनकम प्रॉडक्ट्स में है। लेबर मिनिस्ट्री, सरकार और पीएफ सब्सक्राइबर्स को इक्विटी, डेट, कमोडिटी और इंटरनेशनल एसेट्स वाले डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो का फायदा समझाना पहाड़ हिलाने जैसा काम रहा है। सभी लोग एनपीएस में स्विच होने को तैयार नहीं हैं जिसमें ज्यादा डायवर्सिफाइड च्वाइस के साथ सेफ बॉन्ड पोर्टफोलियो होता है।

सरकारी या पब्लिक सेक्टर को तरजीह देने का ट्रेंड इतना पक्का है कि इंश्योरेंस कंपनियां, पब्लिक ट्रस्ट और सोसाइटीज कमजोर क्वॉलिटी की कंपनियों के डिपॉजिट, बॉन्ड्स और पेपर्स पर ध्यान नहीं देतीं। दूसरी तरफ, ग्लोबल पेंशन फंड्स का मैनेजमेंट ऐसे प्रोफेशनल्स के हाथ होता है, जिससे इनवेस्टर्स जवाब तलब कर लेते हैं, अगर पोर्टफोलियो में पर्याप्त डायवर्सिफिकेशन नहीं होता है। वे इस पचड़े में नहीं पड़ते कि क्या इमर्जिंग मार्केट्स में अपने देश के मार्केट से ज्यादा रिस्क है। उनके इनवेस्टर्स तो इस बात के लिए उंगली उठाएंगे कि उनके पास इमर्जिंग मार्केट्स की डायवर्सिटी वाली बेहतर क्वॉलिटी का पोर्टफोलियो नहीं है। डायवर्सिफिकेशन ज्यादातर इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स की कोर स्ट्रैटेजी होती है और उनकी इनवेस्टमेंट कमेटी उस पर फोकस करती है।

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