नई दिल्ली
अश्विनी पिछले साल रिटायर हुए थे। नौकरी में रहते हुए उन्होंने डिपॉजिट, बॉन्ड्स और शेयरों में निवेश किया था। उन्हें लगता था कि इससे रिटायरमेंट के बाद उनकी जिंदगी अच्छी तरह कट जाएगी। हालांकि, हाल ही में उन्हें एंजियोप्लास्टी पर काफी पैसा खर्च करना पड़ा क्योंकि उनके पास मेडिकल इंश्योरेंस नहीं था। अचानक आए इस खर्च से उनका हिसाब-किताब बिगड़ गया। पहले अश्विनी को लगता था कि उनकी सेविंग्स मेडिकल कॉस्ट के लिए काफी है। उनके दोस्त ने तुरंत एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने की सलाह दी, लेकिन वे इस दुविधा में थे कि इस उम्र में बीमा लेना क्या सही है?
अश्विनी के लिए अपनी उम्र की जरूरतों को समझना जरूरी है। बढ़ती उम्र के साथ हेल्थकेयर के खर्चे बढ़ते हैं, जबकि रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम घटती जाती है। हेल्थकेयर की लागत दिन दोगुनी-रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। हेल्थ इंश्योरेंस से मेडिकल खर्च कवर हो जाते हैं। इससे पॉलिसीहोल्डर को सुकून मिलता है।
अश्विनी को ऐसा हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए, जो खासतौर पर सीनियर सिटिजन के लिए हो। ऐसी बहुत कम स्कीम हैं। ये सामान्य हेल्थ प्लान के मुकाबले महंगी हैं। वजह भी साफ है। बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों का खतरा भी ज्यादा रहता है। अश्विनी सीनियर सिटिजन पर फोकस करने वाला हेल्थ प्लान ढूंढ सकते हैं। मेडिकल इंश्योरेंस लेने से पहले कई चेकअप कराने होंगे, ज्यादा प्रीमियम भी चुकाना होगा।
सीनियर सिटिजन मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदते हुए उन्हें एंट्री और एग्जिट लोड, रिन्यूअल की उम्र की सीमा, हॉस्पिटल नेटवर्क, कवरेज, एक्सक्लूजन, को-पे लिमिट, वेटिंग पीरियड, क्रिटिकल इलनेस कवर आदि की जानकारी लेनी होगी। उम्र के इस पड़ाव पर मेडिकल इंश्योरेंस नहीं होने से बेहतर है कुछ हद तक ही सही, कवर मिलना।
अश्विनी यह देख सकते हैं कि कौन सी पॉलिसी उनके लिए सही है। एंजियोप्लास्टी के बाद बीमा कंपनियां अश्विनी की हार्ट कंडीशन के जोखिम का आकलन करेंगी। लिहाजा उन्हें ऐसी पॉलिसी चुननी चाहिए, जो उनकी मौजूदा हेल्थ कंडीशन और खास जरूरतों पूरी करे। अगर वह अपने निवेश से मेडिकल बिल चुकाने या मेडिकल इंश्योरेंस के लिए हर साल प्रीमियम देने में से कोई एक विकल्प चुनें तो निश्चित तौर पर दूसरा कदम बेहतर होगा।
अश्विनी पिछले साल रिटायर हुए थे। नौकरी में रहते हुए उन्होंने डिपॉजिट, बॉन्ड्स और शेयरों में निवेश किया था। उन्हें लगता था कि इससे रिटायरमेंट के बाद उनकी जिंदगी अच्छी तरह कट जाएगी। हालांकि, हाल ही में उन्हें एंजियोप्लास्टी पर काफी पैसा खर्च करना पड़ा क्योंकि उनके पास मेडिकल इंश्योरेंस नहीं था। अचानक आए इस खर्च से उनका हिसाब-किताब बिगड़ गया। पहले अश्विनी को लगता था कि उनकी सेविंग्स मेडिकल कॉस्ट के लिए काफी है। उनके दोस्त ने तुरंत एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने की सलाह दी, लेकिन वे इस दुविधा में थे कि इस उम्र में बीमा लेना क्या सही है?
अश्विनी के लिए अपनी उम्र की जरूरतों को समझना जरूरी है। बढ़ती उम्र के साथ हेल्थकेयर के खर्चे बढ़ते हैं, जबकि रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम घटती जाती है। हेल्थकेयर की लागत दिन दोगुनी-रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। हेल्थ इंश्योरेंस से मेडिकल खर्च कवर हो जाते हैं। इससे पॉलिसीहोल्डर को सुकून मिलता है।
अश्विनी को ऐसा हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए, जो खासतौर पर सीनियर सिटिजन के लिए हो। ऐसी बहुत कम स्कीम हैं। ये सामान्य हेल्थ प्लान के मुकाबले महंगी हैं। वजह भी साफ है। बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों का खतरा भी ज्यादा रहता है। अश्विनी सीनियर सिटिजन पर फोकस करने वाला हेल्थ प्लान ढूंढ सकते हैं। मेडिकल इंश्योरेंस लेने से पहले कई चेकअप कराने होंगे, ज्यादा प्रीमियम भी चुकाना होगा।
सीनियर सिटिजन मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदते हुए उन्हें एंट्री और एग्जिट लोड, रिन्यूअल की उम्र की सीमा, हॉस्पिटल नेटवर्क, कवरेज, एक्सक्लूजन, को-पे लिमिट, वेटिंग पीरियड, क्रिटिकल इलनेस कवर आदि की जानकारी लेनी होगी। उम्र के इस पड़ाव पर मेडिकल इंश्योरेंस नहीं होने से बेहतर है कुछ हद तक ही सही, कवर मिलना।
अश्विनी यह देख सकते हैं कि कौन सी पॉलिसी उनके लिए सही है। एंजियोप्लास्टी के बाद बीमा कंपनियां अश्विनी की हार्ट कंडीशन के जोखिम का आकलन करेंगी। लिहाजा उन्हें ऐसी पॉलिसी चुननी चाहिए, जो उनकी मौजूदा हेल्थ कंडीशन और खास जरूरतों पूरी करे। अगर वह अपने निवेश से मेडिकल बिल चुकाने या मेडिकल इंश्योरेंस के लिए हर साल प्रीमियम देने में से कोई एक विकल्प चुनें तो निश्चित तौर पर दूसरा कदम बेहतर होगा।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।