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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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Advt: छोटी शुरुआत से MF में बड़े नतीजे

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निवशकों की जागरूकता
संबंधी अपने पहले लेख में हमने म्यूचुअल फंड में निवेश के लाभ बताए थे। म्यूचुअल फंड में निवेश के बहुत से फायदे हैं जैसे निवेशकों के पास चुनाव के विकल्प होते हैं, प्रफेशनल फंड मैनेजमेंट और लिक्विडिटी। इन सबके बावजूद म्यूचुअल फंड में निवेश को लेकर बहुत से भ्रम हैं। इस लेख के जरिए हम ऐसे ही कुछ प्रचलित 5 प्रमुख शंकाओं को दूर करने की कोशिश करेंगे।

1. म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए हमेशा बड़े रकम की जरूरत होती है?
यह बहुत भ्रामक मान्यता है कि म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने के लिए आपके पास एक बड़ी रकम होनी चाहिए। शुरुआती निवेश के लिए 500 रुपए भी पर्याप्त हैं। इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ELSS) में निवेश की शुरुआत महज 500 रुपए से भी की जा सकती है। वहीं सिस्टमैटिक इनवेस्ट प्लान (SIP) के जरिए म्यूचुअल फंड में 1,000 रुपए के साथ भी निवेश किया जा सकता है।

2. किसी टॉप रेटेड म्यूचुअल फंड स्कीम में पैसे लगाने पर अच्छे रिटर्न मिलते हैं?
म्यूचुअल फंड स्कीम की रेटिंग्स समय-समय पर बदलती रहती हैं। इसलिए यह जरूरी नहीं है किसी स्कीम में आज जितना रिटर्न मिल रहा हो, उतना ही अगले साल भी मिले। हालांकि, निवेश की शुरुआत के लिए यह एक अच्छा विकल्प जरूर है कि पहले कुछ प्रमुख म्यूचुअल फंड स्कीम की लिस्ट बनाई जाए। फिर भी यह तरीका सबसे अच्छे रिटर्न की गारंटी नहीं दे सकता है। म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त हमेशा रेटिंग्स के साथ परफॉर्मेंस में आने वाले उतार-चढ़ाव और बाजार की स्थिति पर ध्यान रखना चाहिए।

3. म्यूचुअल फंड में निवेश करना स्टॉक मार्केट में पैसे लगाने की तरह है?
सभी म्यूचुअल फंड स्टॉक में निवेश करते हों, यह जरूरी नहीं है। सच यह है कि इक्विटी फंड में भी इक्विटी और डेट दोनों शामिल होते हैं। कुछ ऐसे फंड हैं जिनमें रिस्क की संभावना काफी कम होती है और ऐसे फंड भी जिनमें रिस्क की संभावना इक्विटी फंड की तरह ज्यादा होती है। म्यूचुअल फंड में बड़ी संख्या में विकल्प मौजूद हैं। जाहिर है कि सभी तरह के निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड एक बेहतर विकल्प है।

4. कम नेट वैल्यू असेट (NAV)वाले फंड बेहतर विकल्प होते हैं?
म्यूचुअल फंड के बारे मे एक आम गलतफहमी है कि कम असेट वैल्यू वाले फंड बेहतर विकल्प होते हैं। हकीकत यह है कि म्यूचुअल फंड के नेट असेट वैल्यू में इसके सभी निवेशों का मार्केट वैल्यू समाहित होता है। किसी भी तरह के निवेश किए रकम का अधिमूल्यन बहुत से पहलुओं पर निर्भर करता है। इनमें प्राइस मूवमेंट्स के साथ अंतर्निहित सुरक्षा भी शामिल हैं।

मान लीजिए आपने 10,000 की रकम दो प्लान में निवेश की है। इनमें से एक प्लान A है (जिसका नेट असेट वैल्यू 20 रुपए है) और दूसरा प्लान B है (जिसका नेट असेट वैल्यू 100 रुपए है)। आपने प्लान A की 500 यूनिट्स और प्लान B की 100 यूनिट्स खरीदीं। मान लीजिए दोनों ही प्लान A और प्लान B ने एक ही स्टॉक में समान अनुपात में पैसे लगाए। ऐसे में यदि स्टॉक का अधिमूल्यन 10% के अनुसार हो तो प्लान A और प्लान B दोनों 10% के अनुसार बढ़ेंगे। इस अनुपात में दोनों ही योजनाओं में आपके निवेश की रकम बढ़कर 11,000 हो जाएगी। इसलिए हमेशा याद रखना चाहिए कि नेट असेट वैल्यू का रिटर्न्स पर कोई प्रभाव नहीं होता।

5. म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है?
म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी नहीं है। आपको सिर्फ एक ऐप्लिकेशन फॉर्म के साथ चेक जमा करना होता है। जितनी राशि आप निवेश करना चाहते हैं उसका चेक और ऐप्लिकेशन फॉर्म म्यूचुअल फंड ऑफिस में या अपने फाइनैंशल अडवाइजर को जमा कर दें।

अब आपके पास म्यूचुअल फंड में निवेश करने से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी है। हमें विश्वास है कि अपना फाइनैंशल पोर्टफोलियो बनाते वक्त निवेश का फैसला समझदारी से करेंगे।

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