फ्लेक्सी STP बहुत से म्यूचुअल फंड्स इनवेस्टर्स को फ्लेक्सिबल इनवेस्टिंग फैसिलिटी देते हैं। वो तेजी में इनवेस्टर्स को ज्यादा इनवेस्टमेंट करने का मौका देते हैं और मंदी में घटाने का। इनवेस्टर्स अपना पैसा कम रिस्क वाले डेट फंड में लगाते हैं और एक सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान बनाते हैं। यह प्लान डेट फंड को एक इक्विटी स्कीम से लिंक कर देता है, जिसमें डेट का पैसा निकलकर आता रहता है। इससे इक्विटी मार्केट में मंदी होने पर उसमें ज्यादा पैसा जाता है और तेजी होने पर कम इनवेस्टमेंट होता है। मौजूदा और नया इनवेस्टमेंट फ्लेक्सिबल STP बनाने के लिए इनवेस्टर अपने मौजूदा डेट फंड इनवेस्टमेंट को यूज कर सकता है। या फिर वह किसी शॉर्ट टर्म डेट फंड में एक साथ पूरा पैसा लगा सकता है। यह इनवेस्टमेंट को एक जगह रखने के लिए होगा। फ्लेक्सिबल STP फॉर्म इनवेस्टर को नया इनवेस्टमेंट करने के बाद फ्लेक्सिबल STP फॉर्म भरना होता है। उसमें मौजूदा फोलियो नंबर का जिक्र करना जरूरी होता है। यह फॉर्म एएमसी इनवेस्टर सर्विस सेंटर से लिया जा सकता है या फंड की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। ट्रांसफरी स्कीम इसमें पैसा उस इक्विटी स्कीम में ट्रांसफर होगा, जिसके लिए STP किया जाएगा। इनवेस्टमेंट स्कीम की ग्रोथ स्कीम में होनी चाहिए। फिक्स्ड STP रकम ट्रांसफर होने वाली वह रकम होती है जो फॉर्मूले के हिसाब से हासिल रकम फिक्स्ड एमाउंट से कम होने पर जाती है। तारीख और फ्रीक्वेंसी इनवेस्टर को STP की तारीख तय करनी पड़ती है। पैसा उस तरीख को ट्रांसफरर स्कीम से निकलकर ट्रांसफरी स्कीम में चला जाता है। इसकी फ्रीक्वेंसी के भी बारे में बताना जरूरी होता है। STP का पीरियड भी बताना होता है जिसमें यह लिखा होता है कि फ्लेक्सिबल STP कब तक चलेगा। डॉक्युमेंट्स सबमिशन फ्लेक्स STP फॉर्म भरने के बाद उसको नजदीक के एएमसी ऑफिस या ISC के पास जमा कराना होता है। रिक्वेस्ट प्रोसेस होने और फ्लेक्स STP शुरू होने में लगभग 30 दिन लगते हैं। इन बातों का ध्यान रखें STP लगातार चलता रहा इसके लिए ट्रांसफरर स्कीम में पर्याप्त फंड जरूरी होता है। फ्लेक्स सिस्टमैटिक ट्रांसफर सिर्फ ट्रांसफरी के ग्रोथ ऑप्शन में मिलता है। होल्डिंग मोड, मौजूदा फोलियो में इनवेस्टर डिटेल ट्रांसफरर स्कीम वाली ही रहेगी।
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